True Love Thoughts Quotes for WhatsApp
महेश और संध्या एक-दूसरे से बेहद प्यार True Love करते थें वो दोनों एक ही स्कूल में पढ़ाई करतें थे और
दोनों 12वीं क्लाश में पढ़ते थे और दोनों का साल का आखिरी महीना बचा हुआ था |
1. एक दिन महेश और संध्या गर्ल फ्रेंड की तरह True Love थे और दोनों रविवार को पार्क में घुमनें के लिए गए तब संध्या ने महेश से पूछा आपका मेरे अलावा और कोई "Girlfriend" हैं | महेश ने बोला - संध्या तुम ये ऐसा क्यूं पुंछ रहीं हों।
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2. तभी संध्या ने कहा - में आपसें बेहद प्यार True Love करती हूं, मैं 12वीं क्लाश में हुं, अभी सिर्फ एक महीना और रह गया हैं, उसके बाद मेरे मम्मी पापा मेरी शादी करवा देंगे लेकिन महेश मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं मैं किसी और से शादी नहीं करना चाहतीं !!
3.और साथ ही मैं संध्या ने कहा "महेश" मैं मन ही मन तुम्हें अपना सब कुछ मान चुकी हूं और अगर तुमनें मुझे कभी " छोड़" भी दिया तो भी मैं तुम्हें भुला नहीं पाऊंगी ये कहतें ही संध्या की आंखों में आंसू आ गए "संध्या को इस तरह रोते देख |
4. महेश नें सबसे पहले उसके आंसू पोंछे और फिर संध्या को अपनी बांहों में ले लिया और फिर उससे ये कहां कि "मेरी जान" पगली " मैंने तुम्हें " छोड़ने के लिए " थोड़ी प्यार किया हैं हमारा प्यार तो सात जन्मों तक रहेगा।
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8. महेश आज़ तो तुमनें मुझे "Surprise" ही कर दिया तुम जल्दी आ जाओ और मैं जल्दी ही तैयार हो जाती हूं और करीब दो घंटे में ही महेश और महेश के माता-पिता संध्या के घर पर पहुंच जातें हैं।
9. लेकिन जब महेश संध्या के घर पहुंचता हैं तो वो क्या देखता हैं कि संध्या का तो इतना बड़ा घर, ताज महल, बहुत सुंदर घर हैं और महेश मन ही मन सोचता कि संध्या के पिताजी बहुत ही अमीर हैं लेकिन हमारा परिवार तो इनके आगे कुछ भी नहीं तभी महेश ने संध्या के घर की बैल बजाईं बैल बजाते हीं संध्या समझ जातीं हैं कि महेश आ गया तभी संध्या अपने घर के नौकरों को बिना कहें खुद ही दरवाजा खोलने चली जाती हैं "
10. संध्या महेश और महेश के परिवार का स्वागत करतीं हैं और उन्हें अंदर लेकर जाती हैं अंदर जातें ही महेश के माता-पिता इतने बड़े घर को देखकर ये सोचते हैं कि पता नहीं संध्या के पिताजी ये रिश्ता करेंगे या नहीं।
11. तभी अचानक संध्या के पिताजी भी आ जातें हैं और संध्या के पिताजी भी बोलते हैं आपका स्वागत है हमारे घर में और सभी के लिए नाश्ता पानी मांगवाते हैं तो तभी महेश के पिताजी ने महेश के लिए संध्या के पिताजी से संध्या का True Love हाथ मांग लिया।
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12. तभी संध्या के पिताजी ने महेश से पूछा महेश तुम काम क्या करतें हों तभी महेश ने बड़ी ही प्यार से कहा अंकल जी मैंने रेलवे की बड़ी भर्ती पर फ़ार्म भर रखा हैं और मैंने रेलवे भर्ती का परीक्षा पेपर भी दे दिए हैं और बस अब रिजल्ट आना ही बाकी हैं।
14. यह सुनते ही संध्या के पिता जी ने महेश से बहुत ही गुस्से में कहा कि तुम्हें पता हैं की 30,000 हजार तो मेरी बेटी 5 दिन में ही खर्च कर देती हैं और तुम्हें शायद यह भी नहीं पता होगा कि मेरी बेटी संध्या हर दिन 10 से 15000 की तो बाहर शॉपिंग करके ही खर्च कर देती हैं यह सुनते ही महेश के पिता जी ने भी गुस्से से यह कह दिया कि शायद आपको आपकी इस धन दौलत पर बहुत ही ज्यादा घमंड हैं।
15. रखिए अपने धन दौलत अपने पास और अपने बेटीं को शादी किसी करोड़पति लड़के से करवाना तभी वह अपने बेटे महेश का हाथ पकड़कर यह कहते हैं कि चलों बेटा हम तेरा रिश्ता कहीं और करवा देंगे।
16. तभी महेश संध्या की पिताजी की आगे हाथ जोड़कर यह कहता है कि अंकल जी मैं आपकी बेटी से बेहद ज्यादा True Love प्यार करता है और आपकी बेटी संध्या भी मुझसे बहुत प्यार करती हैं।
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17. प्लीज अंकल जी इस रिश्ते के लिए आप मान जाइए और आपसे मैं वादा करता हूं कि मैं आपकी बेटी को जरा भी दुखी नहीं रखूंगा यह सुनते ही संध्या की भी आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह भी अपने पिताजी से कहती हैं।
18. कि पिताजी मैं भी महेश से बेहद प्यार करती हूं और मैं उसके बिना मैं नहीं रह पाऊंगी किसी और से कभी भी शादी नहीं कर पाऊंगी बेटी की यह बात सुनकर उसके पिताजी ने उसको एक थप्पड़ मार दीया।
19 तभी संध्या रोती हुई अपनें कमरे में चली गई और संध्या की पिताजी ने गुस्से में आकर कहां अपने नौकर से कि इन लोगों को यहां से बाहर निकाल दो यह सुनते ही महेश और उनके माता-पिता बड़े ही निराश होकर संध्या के घर से चले गए।
20 संध्या के पिताजी ने जल्दी ही संध्या की एक बड़े घर में शादी तय कर दी और उन्होंने उसकी जबरदस्ती 1 महीने के अंदर सगाई भी करवा दी उधर महेश की रेलवे में नौकरी भी लग चुकी थीं तब एक दिन अचानक संध्या ने महेश को फोन करके यह कहा कि महेश तुम कहां चले गए थे मैंने कितनी बार तुम्हारा नंबर मिलाया लेकिन तुम्हारा नंबर बंद जा रहा था।
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21. और मैंने अपनी सहेली को भी कितनी बार तुम्हारे घर पर भेजा था अगर तुम्हारे घर तो ताला लगा हुआ था फिर मुझे तुम्हारा एक दोस्त मिला तो मैंने उससे तुम्हारा नंबर लेकर तुम्हें फोन किया है मेरे पिताजी ने मेरी सगाई जबरदस्ती ही किसी और से करवा दी है लेकिन मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती तुम जल्दी यहां आ जाओ महेश वरना मैं अपनी जान दे दूंगी।
22. तब महेश ने कहा :- संख्या में भी तुमसे बेहद प्यार करता हूं लेकिन प्लीज तुम ऐसा कोई भी कदम मत उठाना कि जिसकी वजह से तुम्हारे घर वालों को शर्मिंदा होना पड़े और संध्या अगर हमारा प्यार सच्चा होगा।
23. तो हमें मिलने से कोई भी नहीं रोक सकता और संध्या अगर हमने घर से भाग कर शादी कर ली भी तो तुम्हें पता है जीवन के आने वाले वक्त में हमारे बच्चे भी ऐसा ही करेंगे और फिर हमें भी बहुत शर्मिंदा होना पड़ेगा।
24. इसीलिए संध्या हमें हमारे प्यार पर पूरा विश्वास रखना चाहिए और उस भगवान पर भी जिसने हम दोनों को सच्चा प्यार True Love करवाया हैं अब बस तुम वैसा ही करो जैसा तुम्हारे घरवाले तुमसे कह रहे हैं।
25. यह बात कहते हुए महेश की आंखों में आंसू आ रहे थे लेकिन उसने अपना सारा दर्द छुपाते हुए संध्या को गलत कदम उठाने से बचा लिया अब समझाने रोते हुए महेश से यह कहा कि महेश मैं तुम्हारे कहने से अपने परिवार की बात मानकर यह शादी जरूर कर लूंगी मगर तुम यह बात याद रखना कि शादी करके किसी और के पास मेरा शरीर ही जाएगा मगर मेरी आत्मा हमेशा सिर्फ तुमसे ही प्यार True Love करेगी।
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26. ये कहकर संध्या रोती हुई फोन को काट देती हैं उधर महेश भी बहुत रोता हुआ जमीन पर बैठ जाता है अब संध्या की शादी का दिन भी आ गया और अब तो उसकी चौखट पर बारात भी आ गई थी।
28. और नीचे गिर कर वह बेहोश हो गई और संध्या के सिर और पैर में बहुत ज्यादा चोट लग गई थी और शायद उसके पैर की हड्डी भी टूट गई थी तभी संध्या की पिताजी ने फटाफट एक एंबुलेंस बुलवाई और जल्दी से वह उसे हॉस्पिटल लेकर गए तभी महेश के एक दोस्त ने महेश को भी फोन कर के हॉस्पिटल ही बुला लिया।
29. महेश को हॉस्पिटल में देखकर संध्या की पिताजी उस पर बहुत गुस्सा होते हैं मगर वहां उनकी सभी रिश्तेदार होने की कारण उसे कुछ भी नहीं कर पाते हैं तभी डॉक्टर संध्या का इलाज करके बाहर आते हैं तो संध्या के पिताजी ने डॉक्टर से पूछा कि डॉक्टर क्या मेरी बेटी ठीक हैं।
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30. तब डॉक्टर कहते हैं कि उनके पैर की हड्डी कुछ ज्यादा ही टूट गई है इसलिए हमने उसका छोटा सा ऑपरेशन कर दिया हैं और हां तब शायद उसका पैर हल्का सा टेढ़ा भी रहेगा यह कहकर डॉक्टर वहां से चला जाता है तब संध्या के पेड़ के बारे में सुनकर संध्या के होने वाले ससुर ने उसी वक्त संध्या से अपने बेटे की शादी के लिए बिल्कुल ही मना कर दिया था तभी संध्या की पिताजी उसके आगे हाथ जोड़कर कहते हैं।
31. संध्या के पिताजी कहते हैं कि समधी जी आप शादी के लिए कैसे मना कर सकते हैं हमारी सारी तैयारियां हो चुकी हैं और आप ऐन वक्त पर इस शादी के लिए मना कर रहे हो कृपया समधी हमारी इज्जत को समझिए।
32. और शादी के लिए मना मत करिए आप चाहे तो मुझसे 15 से 20 लाख यूपीए और ले लीजिए मगर मेरी बेटी को अपना लीजिए और मैं कुछ भी करके अपने संध्या का पैर बिल्कुल ठीक करवा दूंगा।
33. तभी दूल्हे का बाप संध्या की पिताजी का हाथ हटाते हुए गुस्से में कहता है कि तुम्हारी औकात ही क्या है मेरे सामने तुम मेरे बेटे को क्या 15 से 20 लाख रुपए में खरीदना चाहते हो।
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34. तुम्हें पता भी हैं 15 से 20 लाख तो मेरा बेटा यूं ही खर्च कर देता है और तुम्हारी बेटी के साथ अपने बेटी की शादी में इसलिए करवा रहा था क्योंकि तुम्हारी बेटी बहुत ही सुंदर थी मगर अब तो उसका पैर टूट गया और हमारे यहां इससे अपशगुन कहते हैं इसलिए मैं अभी के अभी तुम्हारी बेटी के साथ अपने बेटे का रिश्ता पूरी तरह से तोड़ता हूं यह कहकर वह अपने बेटे और पूरी बारात को वापस लेकर चले जाते हैं।
35. इस बात से दुखी होकर संध्या की पिताजी हॉस्पिटल में बहुत रोने लग जाते हैं और उन्हें वह सारी बात याद आ जाती है जो उन्होंने महेश की पिताजी से कही थीं और उनकी बहुत बेइज्जती भी की थी उसी तरह आज उनकी भी बेज्जती ही हो गई और पैसा भी धरा का धरा ही रह गया यह बात सोच कर संध्या के पिताजी बहुत दुखी हो रही थी।
36. तभी अंदर से एक नर्स संध्या को व्हील चेयर पर बाहर लेकर आई और संध्या भी बहुत ही रोने लगी तभी संध्या के पिताजी ने संध्या से कहां की बेटी अभी अभी तेरे होने वाले ससुर ने यह रिश्ता तोड़ दिया वह दुल्हें और बारात को भी वापस लेकर गए।
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37. तभी संध्या अपने पिताजी का हौसला बढ़ाते हुए कहती है कि पिताजी जो होता है अच्छे के लिए ही होता है और आपकी बेटी का दूल्हा और बारात आपके बिल्कुल सामने ही खड़ा हैं तभी संध्या की पिताजी देखते हैं की महेश और उसके पिताजी और महेश के सभी दोस्त हाथ जोड़कर खड़े हुए थें। तभी संध्या अपने पिताजी से कहती हैं।
38. कि पिताजी अब फैसला आपके हाथों में हैं कि आपको अपनी धन दौलत के बराबरी वाला लड़का चाहिए या आपकी इज्जत करने वाला और ""मुझसे प्यार करने वाला"" यह सुनते ही संध्या की पिताजी महेश के पिता जी के पास जाकर हाथ जोड़कर माफी मांगते हैं और कहते हैं कि उस दिन मैंने आपकी इतनी ज्यादा बेज्जती की थी उसके लिए मैं आपसे माफी मांगता हूं कृपया मुझे - "माफ कर दीजिए"
39. उस वक्त में अपने धन दौलत में अंधा हो चुका था तभी महेश के पिताजी यह कहते हैं कि आप यह माफ़ी वाफीं छोड़िए और "महेश और संध्या की शादी" की तैयारियां कीजिए।
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40. तभी सभी लोग शादी में पहुंच जाते हैं संध्या की पिताजी भी बहुत खुश हो जाते हैं लेकिन प्रिया के पैर में तो चोट लगी हुई थी तो शादी में फैरे कैसे हो पाते तभी महेश ने प्रिया को अपनी गोद में उठा लिया और गोद में उठाकर महेश ने अपनी सारी रस्में पूरी कर दी और मैं इसने संध्या से कहा ठीक मैंने कहा था न संध्या अगर हमारा सच्चा प्यार होगा तब वह जरूर मिलेगा यह सुनते ही संध्या बहुत खुश हो जाती हैं और महेश की गोद में बैठे ही बैठे उसकी बाहों में लिपट जाती हैं और मिल जाता है महेश और संध्या का सच्चा प्यार True Love 💏🙋💋💔
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